आज तड़के सुबह दिल्ली सेसन कोर्ट ने विवादस्पद लेखक -गीतकार डा मुकेश पाण्डेय की
बहु-प्रतीक्षित पुस्तक "फिल्म लाइन के लौंडीयाबाज़" पर नवम्बर माह तक के लिए प्रकाशन
कार्य पर रोक लगा दिया है .दिल्ली की एक स्वयं सेवी संस्था ":युग परिवर्तन " ने इस
पुस्तक के प्रकाशन और प्रदर्शन के खिलाफ केस किया था.ज्ञात हो की इस पुस्तक में वो
सामग्री है जिसके चलते भोजपुरी और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का घिनौना चेहरा आम हो
जायेगा.कई फिल्म अभिनेत्रियों और फिल्म से जुड़े लोगो का ऐसा तथ्यात्मक साक्ष्य
विवरण है जिससे भोजपुरी और हिंदी फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों के काले कारनामे उजागर
हो जायेंगे.गौरतलब हो की डा.पाण्डेय अभी एक अभिनेत्री के केस से उबर भी नहीं पाए की
तब तक ये उनके लिए दूसरा बड़ा झटका हैं.उनके बेबाक लेखन शैली को चाहने वालों के लिए
अभी नवम्बर माह तक इंतजार करना पड़ेगा.इस पुस्तक को प्रकाशित करने की जिम्मेदारी
पुस्तक महल ने ली थी .कोटर के फैसले से मुकेश पाण्डेय काफी आहात हुवे है साथ ही
उन्होंने उम्मीद जताई है की कानून उनके अभिव्यक्ति का एक न एक दिन जुरूर सम्मान
करेगा.और अपना फैसला बदलेगा.
चोर लेखक है मुकेश पाण्डेय। इसने अपनी चोरी के लिए मुझसे माफ़ी भी मांगी है- फोन पर भी और लिखित भी। मैंने इसके माफीनामा का जो जबाब दिया है वो पढ़िए। ऐसे चोर के खिलाफ सख्त एक्शन की जरुरत है।
ReplyDeleteप्रिय मुकेश,
किसी दूसरे की रचना को अपने नाम से प्रकाशित करवाने , रिकॉर्ड कराने या उसका वीडियो बनाने को छेड़छाड़ नहीं, चोरी कहते है और यह एक जघन्य अपराघ है।
अपने माफीनामा में आपने स्पष्ट नहीं किया है कि मेरे किन-किन और कितने गीत ग़ज़लों की चोरी आपने की है और उन्हें किन-किन कंपनियों से रीलिज कराया है , बनाया है ? निर्माता , निर्देशक या गायक कौन हैं ? स्पष्ट करें व लिंक दें ताकि लोगों को बता सकूँ कि ये मेरी रचनाएं हैं जिन्हें बिना मेरी अनुमति के और वो भी बतौर लेखक अपना नाम देकर आपने रिकॉर्ड कराया है।
मेरी जानकारी में आपकी दो चोरी आई है जिसका लिंक नीचे दे रहा हूँ।
वर्ष 1998 -99 में भोजपुरी की प्रतिष्ठित पत्रिका पाती समेत अन्य कई पत्रिकाओं में प्रकाशित और मेरे ब्लॉग पर वर्ष 2007 में प्रकाशित एक रचना को सीधे-सीधे आपने अपने नाम से नवभारत टाइम्स पर प्रकाशित कराया है।
चोरी का लिंक -
भोजपुरिया जवान
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भोजपुरिया जवान
एक ओर कुकुरमुत्ता नियर फइलल भकचोन्हर गीतकारन के बिआइल कैसेट में लंगटे होके नाचत बिया भोजपुरिया संस्कृति। जइसे उ कवनो कोठावाली के बेटी होखे भा कवनो गटर में फेंकल मजब...
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मेरे ब्लॉग़ का लिंक
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संस्कृति
एक ओर कुकुरमुत्ता नियर फइलल भकचोन्हर गीतकारन के बिआइल कैसेट में लंगटे होके नाचत बिया भोजपुरिया संस्कृति। (......जइसे उ कवनो कोठावाली के बेटी होखे......भा कवनो गटर म...
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मुकेश ! यह रचना के साथ छेड़-छाड़ नहीं है। यह डकैती है। घिनौना कृत्य है। बताइये यहाँ किस कंपनी मालिक ने आपको मजबूर किया ? इससे तो स्पष्ट पता चलता है कि आप जन्मजात चोर हैं। रचना चोरी करने की आदत है आपकी। आज आप पकड़े गए तो फोन पर माफ़ी मांग रहे हैं और पत्र में माफीनामा लिख रहे है। इसके पहले आपके जमीर ने आपको नहीं धिक्कारा।
अब आपकी दूसरी चोरी - मेरे एक ग़ज़ल की है। वर्ष 2004 में प्रकाशित और भारतीय भाषा परिषद से सम्मानित मेरे चर्चित ग़ज़ल-संग्रह '' तस्वीर जिंदगी के '' की एक रचना को आपने अपने नाम से रिकॉर्ड कराया है।
मेरी ग़ज़ल है -
कटा के सर जे आपन देश के इज्जत बचवले बा
नमन वो पूत के जे दूध के कर्जा सधवले बा
बेकारी, भूख आ एह डिग्रियन के लाश के बोझा
जवानी में ही केतना लोग के बूढ़ा बनवले बा
कहीं तू भूल मत जइहऽ शहर के रंग में हमके
चले का बेर घर से ई केहू किरिया खियवले बा
सँभल के तू तनी केहू से करिहऽ प्यार ए 'भावुक'
जरतुआ लोग इहँवों हाथ में पत्थर उठवले बा
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आपने इस ग़ज़ल में तखल्लुस '' भावुक '' की जगह अपना नाम मुकेश घुसेड़ दिया है और बन गए हैं शायर।
पहले शेर को मुखड़ा और बाकी के तीनों शेर में एक -एक लाइन का पेवन चिपका दिया है … जिसको आप छेड़छाड़ नाम दे रहे हैं।
आप संगीतकार हैं। संगीत का क़ानून क्या ऐसे छेड़छाड़ की इजाजत देता है ? …
किसी की पूरी रचना उठा लेते हैं और बड़ी बेशर्मी के साथ छेड़छाड़ करार देते हैं.
Chori wala link -
Ktaa Ke Sir Je Aapan-Priye Pran Bhojpuri Deshbhakti Song
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Ktaa Ke Sir Je Aapan-Priye Pran Bhojpuri Deshbhakti Song
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मिस्टर मुकेश ! स्पष्ट करें , आपने मेरी कितनी रचनाएं चोरी की हैं ? .... कहाँ -कहाँ इस्तेमाल किया है और भूल सुधार कैसे और कब तक करेंगे ? या मुझे आपके खिलाफ लीगल एक्शन लेना पड़ेगा ?
आपने फोन पर अपनी चोरी स्वीकार की है और मेरे गाने से सम्बंधित सारे लिंक / अपलोड विडिओ हटाने और उन्हें पुनः मेरे नाम से रिकॉर्ड करने की बात कही है। यह काम कब तक होगा ?
कई दफा गायक, संगीतकार या फिर कंपनी मालिक के कहने से धुन या बोलों को पूरा करने अथवा उसको लयबद्ध करने के लिए आपने अब तक कितने लोगों की रचनाएं चोरी की हैं ?
आश्चर्य है कि एक चोर के साथ बड़ी शालीनता और इज्जत के साथ बात कर रहा हूँ।
आज भर का समय दे रहा हूँ। मेरे प्रश्नों का जबाब दे दिया तो माफ़ी .......
वरना कल यह सार्वजनिक हो जाएगा और कानूनी प्रक्रिया शुरू ……
शुभकामनाओं के साथ
मनोज भावुक
Mukesh Pandey ka mafinama -
ReplyDeleteOn Wednesday, 12 August 2015, 19:16, BLOODLINE RECORDS wrote:
श्रद्धेय
भाई श्री मनोज जी
सादर प्रणाम ;
जाने -अनजाने मुझसे कुछ गीतों के छेड़छाड़ करने की गलती हुई हैं। संयोग से वो गीत /ग़ज़ल आपके थे। . मुझे मालूम नहीं वो किन परिस्थितियों में मुझे किसके द्वारा सुझाये गए थे। कई दफा गायक संगीतकार या फिर कंपनी मालिक किसी धुन या बोलों को मुझे पूरा करने अथवा उसको लयबद्ध करने के लिए कहते हैं जो मैं कर दिया करता हूँ। इस घटना के लिए मुझे खेद हैं तथा मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।
आपका अनुज
मुकेश पाण्डेय