Monday, 31 October 2011
Sunday, 30 October 2011
Saturday, 29 October 2011
Tuesday, 25 October 2011
Monday, 24 October 2011
15 DECEMBER SE PREM-BIDROHI KI SHOOTING LUCKNOW
PURVAIYYA ENTERTAINMENT KE ANTARGAT NIRMANADHEEN BHOJPURI MOVIE "PREM-BIDROHI" KI SHOOTING KI DATES BHOJPURI KE MAHANAYAK RAVIKISHAN JI NE AAGAMI 20 DECEMBER SE LUCKNOW MEIN KIYE JANE HETU APNI SAHMATI AUR SWEEKRITI DE DI HAI. ISS SAMBANDH MEIN HUMARE DIRECTOR SANOJ MISHRA JI KAL UNSE MILE AUR UNHONE ISS MOVIE KE LIYE DARIYADILI KA PARICHAY DETE HUE APNA BAHUMULYA SAMAY PREM-BIDROHI KO DE DIYA HAI. MAI POORI UNIT KI TARAF SE UNHE SALAAM KARTA HOON. 15 DECEMBER SE PREM-BIDROHI KI SHOOTING LUCKNOW MEIN KI JAYEGI.
News by :- Anjani kumar upadhyay blog
Prem Yudh Bhojpuri Film song recording by MIKA Hindi Superstar
सोम्या प्रोडक्शन प्रा. लि. बैनर तले बन रही भोजपुरी फिल्म "प्रेम युद्ध" का संगीतमय मुहूर्त विरा देसाई रोड स्थित जीप टेक स्टूडियो में निर्माता सुरेन्द्र पुरी ने नारियल तोड़कर किया। इस फिल्म मे हिन्दी फिल्मों के पॉपुलर गायक मिका सिंह ने अरविन्द तिवारी के लिखे गीत "अप डाउन करे जोबना तोहार..." एवं संगीतकार अमन श्लोक के संगीत-निर्देशन में अपनी आवाज का जादू बिखेरा। निर्माता सुरेन्द्र पुरी निर्देशक विनोद तिवारी लेखक संजीत कुमार, गीत अरविंद तिवारी, संगीत अमन श्लोक एवं पी. आर. ओ. संजय भूषण पटियाला है। मुख्य कलाकार - सुदीप पाण्डेय, प्रिया शर्मा, मेघना अरोड़ा, ब्रजेश त्रिपाठी, गोपाल राय, माया यादव, जय प्रकाश सिंह आदि।
New By :- bhojpuriyacinema.com
Sunday, 23 October 2011
Bhail Tohra Se Pyar I Love You - First Look
Mitawa Production House Presents Bhail Thora Se Pyar I Love You. The film stars Vinay Anand, Ruby Singh, Uttam kumar, Puja singh , Upasna Singh, Dev Malhotra, Mehnaz, Shambhu Prasad, Lalan Tiwari, Bhavana Agarwal, Santosh Yamraj and others. The film is being cinematographed & directed by Shaad Kumar and written-produced & lyrics by Dharmendra Maurya “Bablu”. it has music by Mangesh Raul
Thursday, 20 October 2011
Tuesday, 18 October 2011
दाऊद इब्राहीम की भूमिका में विनय आनन्द
भोजपुरी फिल्मों नायक विनय आनंद अब अन्डरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहिम की भूमिका निभायेंगे। भोजपुरी में बन रही फिल्म ‘दंगल’ में विनय आनंद का ये नया लुक देखने को मिलेगा जिसमें वे अंडरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहीम की भूमिका में नजर आयेंगे। इस फिल्म का निर्माण निर्माता मकबूल और दिवाकर कर रहे हैं जबकि निर्देशक हैं श्रीधर शेट्टी। अण्डरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहीम और छोटा राजन की दुश्मनी पर बननेवाली इस फिल्म में नायिका का चयन अभी बाकी है। पिछले दिनों ‘दंगल’ का मुहूर्त मुंबई के अंधेरी स्थित चार बंगला म्हाडा में किया गया। हालांकि फिल्म के निर्माता मकबूल और साफ कहते हैं इस फिल्म के ज़रिये हम यह बताना चाहते हैं कि अगर ये दोनों दुश्मन एक हो जायें तो देश कितना और आगे बढ़ेगा। फिल्म ‘दंगल’ की कहानी लिख रही हैं महिला कथाकार सबा मुस्तफा। फिलहाल फिल्म ‘दंगल’ के लिए अभी रिसर्च का काम चल रहा है और रिसर्च के आधार पर ही कहानी लिखी जा रही है। फिल्म का संगीत राकेश त्रिवेदी दे रहे हैं। इस फिल्म की शूटिंग उत्तर प्रदेश तथा बिहार में होगी।
News By:- bhojpuriyacinema.com
News By:- bhojpuriyacinema.com
Sunday, 16 October 2011
Thursday, 13 October 2011
भोजपुरी फिल्म अवार्ड नॉमिनेशन जारी, नज़रिया तोहसे लागी को मिला ११ नामांकन
भोजपुरी फिल्म जगत की छठे भोजपुरी फिल्म अवार्ड के जूरी सदस्यों और पुरस्कार श्रेणी में चयनित नामो की घोषणा कर दी गयी है। यह घोषणा मुंबई में आयोजित एक संवाददाता सम्मलेन में अवार्ड समिति के संस्थापक अध्यक्ष विनोद गुप्ता ने की। इस वर्ष चयन प्रक्रिया में कई परिवर्तन किये गए हैं। पहली बार पुरस्कार समिती के जूरी के जूरी सदस्यों के नाम की घोषणा की गयी। इस जूरी में छः सदस्य हैं जिनके नाम हैं के.पी.निगम, असीम सिन्हा, राज सिंह चौधरी, अमिताभ वर्मा , मिश्रा जी और आशुतोष। अवार्ड संचालन का जिम्मा संभाला है स्वरुप फिल्म्स के पुनीत केला ने। १४ अक्टूबर को गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब मुंबई में होने वाले इस समारोह में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के श्रेणी में रवि किशन दो फिल्मो के लिए, निरहुआ दो फिल्मो के लिए और पवन सिंह एक फिल्म के लिए नामांकित है। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में रानी चटर्जी और पाखी हेगड़े दो दो फिल्मो के लिए एवं स्वीटी छाबरा एक फिल्म के लिए नामांकित है। बेस्ट फिल्म की श्रेणी में रवि किशन की चंदू की चमेली और देवरा बड़ा सतावेला , निरहुआ की रणभूमि व सात सहेलियां तथा प्रवेश लाल यादव की दिल शामिल है।
भोजपुरी फिल्म नज़रिया तोहसे लागी को छठे भोजपुरी फिल्म अवार्ड में ग्यारह श्रेणी में नामांकन मिला है। विजसन फिल्म्स द्वारा प्रस्तुत इस फिल्म के निर्माता संतोष सिंह व निर्देशक दीप शर्मा हैं। अजय दीक्षित व नयी अदाकारा विभूति त्रिवेदी अभिनीत यह फिल्म बिहार की चर्चित परंपरा पकडुआ विवाह पर आधारित है। चौदह अक्टूबर को होने वाले भोजपुरी फिल्म जगत के सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड समारोह के लिए इस फिल्म को राष्ट्रीय सद्भावना पर आधारित फिल्म सहित ग्यारह श्रेणियो में नामांकन मिला है । अन्य श्रेणियो में इस फिल्म को बेस्ट पब्लिसिटी डिजायनर के लिए अजय शाह, बेस्ट स्टोरी के लिए राज वर्मा, बेस्ट न्यू कमर फिमेल के लिए विभूति त्रिवेदी, बेस्ट कोमेडियन के लिए फ़िरोज़ खान , बेस्ट एक्टर इन निगेटिव रोल के लिए अयाम मेहता, बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए ऋचा सिंह, बेस्ट सिंगर मेल के लिए उदित नारायण , बेस्ट सिंगर फिमेल दीपा नारायण को नामांकित किया गया है ।
News By Bhojpuiryacinema.com
Wednesday, 12 October 2011
ग़लतफ़हमी में गिरफ्तार हुए सुदीप पाण्डेय
ग़लतफ़हमी में गिरफ्तार हुए सुदीप पाण्डेय ....
भोजपुरी फिल्मो के एक्शन स्टार सुदीप पाण्डेय को कल रात अँधेरी से नवी मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था. रात भर पुलिस कस्टडी में रहने के बाद आज दोपहर पुलिस ने उनसे माफ़ी मांग कर छोड़ दिया . प्राप्त जानकारी के अनुसार कल रात नौ बजे वो किसी के साथ वीरा देसाई रोड स्थित होटल कोर्ट यार्ड में बैठे थे, तभी अचानक वहाँ पुलिस आई और उन्हें अपने साथ ले गई. रात भर पूछताछ करने के बाद पुलिस को अपनी गलती का आभास हुआ . पुलिस ने उन्हें उनके द्वारा हाल ही में ख़रीदे गए एक मोबाईल नम्बर के कारण गिरफ्तार किया था. दरअसल पुलिस को एक आरोपी की तलाश थी , उन्हें उस आरोपी का मोबाईल नंबर मिला . दिलचस्प बात तो यह है की आरोपी ने उस नम्बर को बंद कर दिया था और मोबाईल कंपनी ने यह नंबर सुदीप पाण्डेय को दे दिया था . पुलिस ने उस बंद पड़े नंबर के अचानक चालू होने से ऐसा महसूस किया मानो उसे आरोपी का ठिकाना मिल गया. इसी भ्रम में उन्होंने मोबाईल नंबर ट्रेस कर सुदीप पाण्डेय को गिरफ्तार कर लिया
News By :- bhojpuritrade
Tuesday, 11 October 2011
Bhojpuri film par ashleeata ka aarop
koi ek bhojpuri gumnaam director sahab ne ek statement diya hai ki 'BHOJPURI SANSKRITI MEIN HI ASHLEELATA HAI' un mahashay ko mai batana chah raha hoon ki wo ankhein khol kar hindi aur anya bhasha ka cinema dekhein aur mujhe batayen ki kaun see bhojpuri film hindi se adhik nangi hai ..rahi baat bhojpuri culture ki to duniya ki tamaam sanskriti se badhkar bhojpuri culture hai jahan maan samman .aur asli bhartiya jeevan darshan hai..bhojpuri sanskriti ke baare mein jaane bina unka bayan nihayat unki ghatiya aur ashleel soch darshata hai ..aise logon ki banai hui filmon se hi bhojpuri cinema badnaam hota hai.
By Sanoj Mishra. Blog
By Sanoj Mishra. Blog
Saiyan Driver Bibi Khalasi Bhojpuri Movies
बहुत दिनों बाद एक भोजपुरी फिल्म देखने का मौका मिला। आम तौर पर भोजपुरी फिल्में मैं नहीं देखता। उसकी सबसे बड़ी वजह है, भोजपुरी फिल्मों का मेरी उम्मीदों पर खरा न उतर पाना। जब भोजपुरी फिल्मों की फिर से नयी हवा चली थी, तो मुझे लगा था कि भोजपुरी फिल्में दर्शकों की उस भूख को मिटा पाने में सफल होगीं, जिसके कारण दर्शक उनके करीब आये। मेरे अनुसार दर्शकों का भोजपुरी फिल्मों के करीब आने का सबसे बड़ा कारण हिंदी फिल्मों से हिंदुस्तान का गायब होना था। हिंदी फिल्में हमारे देश के रीयल इमोशन से दूर चली गयी थी। वह एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर रही थी, जहां हिंदुस्तान का आम आदमी अपने आप को फिट नहीं कर पा रहा था। ठगा सा महसूस कर रहा था। इसलिए उसने अपना रुख भोजपुरी सिनेमा की ओर किया। मगर भोजपुरी फिल्मों ने उन दर्शकों के साथ क्या किया? उम्मीद से देख रहे उन दर्शकों के सामने हिंदी फिल्मों का घटिया संस्करण प्रस्तुत किया गया। जिसकी न मेकिंग अच्छी थी न टेकिंग … न एक्टिंग … और न ही कहानी। यहां आकर भी दर्शक ठगा सा महसूस करने लगा … खैर!
मगर ये फिल्म “सईयां ड्राइवर बीवी खलासी” उन फिल्मों से हट कर है। किसी फिल्म को देखने लायक अगर कोई चीज बनाती है, तो वो है उसकी स्क्रिप्ट। इस मामले में इस फिल्म की स्क्रिप्ट न सिर्फ हट के है, बल्कि बहुत बढ़िया है।
फिल्म की वन लाइन कहानी इस तरह है – दुलरिया के पति की हत्या हो जाती है … और उसके पिता उसे मायके वापस ले आते हैं। वहां उसके दो भाई और भाभियां उसे बड़े प्यार से रखती हैं। मगर जैसे ही पिता उसके गुजारे के लिए डेढ़ बीघा जमीन दुलरिया के नाम कर देते हैं, वही भाई-भौजाई उसके दुश्मन हो जाते हैं। तरह तरह के उपाय से उसे घर से दूर कर देना चाहते हैं ताकि उनकी जमीन बची रह जाये। मगर वही बहन हर कदम पर अपने भाई के परिवार के लिए समर्पित रहती है।
पैतृक संपत्ति में बेटी के अधिकार की बात करने वाली शायद ये हिंदुस्तान की पहली फिल्म है। हिंदी में भी इस मुद्दे पर कोई फिल्म मेरी जानकारी में अब तक नहीं बनी है। इतना ही नहीं… आज पैसा कैसे हमारे रिश्तों की गर्माहट को कम कर रहा है, पैसे के पीछे भागता ये समाज कितना संवेदनहीन हो गया है। ये फिल्म इस विषय पर अच्छे से प्रकाश डालती है।
मगर थोड़े से धन के लालच में अपने खून के रिश्ते को ताक पर रख देने वाले इस समाज में दुलरिया भी है, जिसके लिए रिश्ते अभी भी पैसे से बढ़कर हैं … और जो सिर्फ जिंदा रिश्ते ही नहीं, मरे हुए रिश्ते को भी निभा रही है। मृत पति से उसका प्रेम आज भी उतना ही है, जितना उसके जिंदा रहते था … और क्यों न हो? शादी के तीन सालों में ही उसने दुलरिया को प्यार से इतना भर दिया था कि आज भी उसकी स्मृतियां उसे ऊर्जा से भर देती हैं … और यही कारण है कि भाइयों के बार-बार कोशिश करने पर भी वो दूसरी शादी से इनकार कर देती है। बार-बार यही कहती है, अगर कोई मेरे मनपसंद का लड़का दिखेगा … तो मैं उससे ब्याह कर लूंगी, किसी से इजाजत भी मांगने नहीं आऊंगी! ऐसा क्या था दुलरिया के पति में? ऐसा बहुत कुछ था दुलरिया के पति में। दुलरिया के ट्रक ड्राइवर पति ने उसे अपने ट्रक पर बैठाकर पूरे हिंदुस्तान की सैर करायी थी। हर जगह की पसंदीदा साड़ी उसे ला कर दी थी। उनके रिश्ते में कहीं बंधन नहीं था, एक किस्म की उन्मुक्तता थी। उसका पति आम भारतीय पति की तरह उसकी देह पर जबर्दस्ती लदा नहीं रहता था। बल्कि उसकी भावनाओं की कद्र करता था। इससे भी बढ़कर जब वो मरा … तो किसी बीमारी या दुर्घटना का शिकार होकर नहीं … बल्कि एक अबला लड़की का कुछ लोगों के द्वारा उसका अगवा करना … उसकी इज्जत पर हाथ डालना उसे बर्दाश्त नहीं हुआ … और वो उस लडकी को बचाने के क्रम में उन गुंडों की गोलियों का शिकार हुआ। और एक बहादुर की मौत मरा। यही वो चीज है, जो दुलरिया को अपने पति के प्रति गर्व से भर देती है। और यहां पर दुलरिया का प्यार देह से ऊपर उठ जाता है। वो एक विचार बन जाता है। जिसकी तलाश वो दूसरों में भी करती है। मगर वो नही मिलता … और वो लगातार शादी से इनकार करती जाती है।
ये सही भी है। अगर कोई रिश्ता, जो स्मृतियां हैं उससे अच्छी स्मृतियां नहीं दे सकता, फिर उन पवित्र स्मृतियों को … उन दिव्य एहसासों को किसी असहज रिश्ते मे बांधकर खत्म क्यों किया जाए?
प्रेम से भरा हुआ मन कैसे दूसरों को भी प्रेम से भर देता है, उसकी मिसाल है दुलरिया। जिसके मन में हर किसी के लिए अपनापन है। जो हर किसी के दुख से दुखी होती है और उसके दुख को कम करने का हर संभव प्रयास करती है!
फिल्म जाने-माने कहानीकार रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी पर आधारित है। मगर उस कहानी में बहुत कुछ जोड़-घटाव कर इसे एक बेहतर पटकथा का रूप दिया है निलय उपाध्याय ने। उन्होंने पूरी फिल्म में वर्तमान और अतीत को बहुत ही खूबसूरती के साथ पेश किया है। अंजनी कुमार का निर्देशन भी अच्छा है। उन्होंने अभिनेताओं से अच्छा काम लिया है। कुल मिलाकर कहें तो ये फिल्म उस शिकायत को दूर करती है … कि भोजपुरी में परिवार के साथ बैठकर देखने लायक अच्छी फिल्म नहीं बनती। ये फिल्म नवंबर में प्रदर्शित होने वाली है। उम्मीद है दर्शकों को बहुत पसंद आएगी। अगर ऐसी ही दो–चार फिल्में और बन जाए, तो भोजपुरी सिनेमा अपने संकट से ऊपर उठ सकता है … और अपना हस्तक्षेप दर्ज कर सकता है!
News By Mohallalive.com
मगर ये फिल्म “सईयां ड्राइवर बीवी खलासी” उन फिल्मों से हट कर है। किसी फिल्म को देखने लायक अगर कोई चीज बनाती है, तो वो है उसकी स्क्रिप्ट। इस मामले में इस फिल्म की स्क्रिप्ट न सिर्फ हट के है, बल्कि बहुत बढ़िया है।
फिल्म की वन लाइन कहानी इस तरह है – दुलरिया के पति की हत्या हो जाती है … और उसके पिता उसे मायके वापस ले आते हैं। वहां उसके दो भाई और भाभियां उसे बड़े प्यार से रखती हैं। मगर जैसे ही पिता उसके गुजारे के लिए डेढ़ बीघा जमीन दुलरिया के नाम कर देते हैं, वही भाई-भौजाई उसके दुश्मन हो जाते हैं। तरह तरह के उपाय से उसे घर से दूर कर देना चाहते हैं ताकि उनकी जमीन बची रह जाये। मगर वही बहन हर कदम पर अपने भाई के परिवार के लिए समर्पित रहती है।
पैतृक संपत्ति में बेटी के अधिकार की बात करने वाली शायद ये हिंदुस्तान की पहली फिल्म है। हिंदी में भी इस मुद्दे पर कोई फिल्म मेरी जानकारी में अब तक नहीं बनी है। इतना ही नहीं… आज पैसा कैसे हमारे रिश्तों की गर्माहट को कम कर रहा है, पैसे के पीछे भागता ये समाज कितना संवेदनहीन हो गया है। ये फिल्म इस विषय पर अच्छे से प्रकाश डालती है।
मगर थोड़े से धन के लालच में अपने खून के रिश्ते को ताक पर रख देने वाले इस समाज में दुलरिया भी है, जिसके लिए रिश्ते अभी भी पैसे से बढ़कर हैं … और जो सिर्फ जिंदा रिश्ते ही नहीं, मरे हुए रिश्ते को भी निभा रही है। मृत पति से उसका प्रेम आज भी उतना ही है, जितना उसके जिंदा रहते था … और क्यों न हो? शादी के तीन सालों में ही उसने दुलरिया को प्यार से इतना भर दिया था कि आज भी उसकी स्मृतियां उसे ऊर्जा से भर देती हैं … और यही कारण है कि भाइयों के बार-बार कोशिश करने पर भी वो दूसरी शादी से इनकार कर देती है। बार-बार यही कहती है, अगर कोई मेरे मनपसंद का लड़का दिखेगा … तो मैं उससे ब्याह कर लूंगी, किसी से इजाजत भी मांगने नहीं आऊंगी! ऐसा क्या था दुलरिया के पति में? ऐसा बहुत कुछ था दुलरिया के पति में। दुलरिया के ट्रक ड्राइवर पति ने उसे अपने ट्रक पर बैठाकर पूरे हिंदुस्तान की सैर करायी थी। हर जगह की पसंदीदा साड़ी उसे ला कर दी थी। उनके रिश्ते में कहीं बंधन नहीं था, एक किस्म की उन्मुक्तता थी। उसका पति आम भारतीय पति की तरह उसकी देह पर जबर्दस्ती लदा नहीं रहता था। बल्कि उसकी भावनाओं की कद्र करता था। इससे भी बढ़कर जब वो मरा … तो किसी बीमारी या दुर्घटना का शिकार होकर नहीं … बल्कि एक अबला लड़की का कुछ लोगों के द्वारा उसका अगवा करना … उसकी इज्जत पर हाथ डालना उसे बर्दाश्त नहीं हुआ … और वो उस लडकी को बचाने के क्रम में उन गुंडों की गोलियों का शिकार हुआ। और एक बहादुर की मौत मरा। यही वो चीज है, जो दुलरिया को अपने पति के प्रति गर्व से भर देती है। और यहां पर दुलरिया का प्यार देह से ऊपर उठ जाता है। वो एक विचार बन जाता है। जिसकी तलाश वो दूसरों में भी करती है। मगर वो नही मिलता … और वो लगातार शादी से इनकार करती जाती है।
ये सही भी है। अगर कोई रिश्ता, जो स्मृतियां हैं उससे अच्छी स्मृतियां नहीं दे सकता, फिर उन पवित्र स्मृतियों को … उन दिव्य एहसासों को किसी असहज रिश्ते मे बांधकर खत्म क्यों किया जाए?
प्रेम से भरा हुआ मन कैसे दूसरों को भी प्रेम से भर देता है, उसकी मिसाल है दुलरिया। जिसके मन में हर किसी के लिए अपनापन है। जो हर किसी के दुख से दुखी होती है और उसके दुख को कम करने का हर संभव प्रयास करती है!
फिल्म जाने-माने कहानीकार रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी पर आधारित है। मगर उस कहानी में बहुत कुछ जोड़-घटाव कर इसे एक बेहतर पटकथा का रूप दिया है निलय उपाध्याय ने। उन्होंने पूरी फिल्म में वर्तमान और अतीत को बहुत ही खूबसूरती के साथ पेश किया है। अंजनी कुमार का निर्देशन भी अच्छा है। उन्होंने अभिनेताओं से अच्छा काम लिया है। कुल मिलाकर कहें तो ये फिल्म उस शिकायत को दूर करती है … कि भोजपुरी में परिवार के साथ बैठकर देखने लायक अच्छी फिल्म नहीं बनती। ये फिल्म नवंबर में प्रदर्शित होने वाली है। उम्मीद है दर्शकों को बहुत पसंद आएगी। अगर ऐसी ही दो–चार फिल्में और बन जाए, तो भोजपुरी सिनेमा अपने संकट से ऊपर उठ सकता है … और अपना हस्तक्षेप दर्ज कर सकता है!
News By Mohallalive.com
Mard Himmatwala Staring Pankaj Kesari
स्रोत : प्रशांत निशांत
News By bhojpuriyacinema.com
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