Monday, 5 November 2012

शोषण पर बन रही है अरुण पाठक की शोषण दि टार्चर का मुहर्त

अरुण पाठक का नाम उस वक्त चर्चा में आया था जब बनारस में दीपा मेहता की फिल्म वाटर की शूटिंग को लेकर भरी बवाल हुआ था. बाद में इस फिल्म को शूटिंग की शूटिंग को रोक देना पड़ा. मिडिया में अरुण पाठक को खलनायक बताया तो वाटर में काम कर रही शबाना आजमी ने उन्हें प्रोफेशनल सुसाइडर तक कहा. अब अरुण पाठक शोषण दि टार्चर नाम की फिल्म बनाने जा रहे है वे कहते है की यह फिल्म ही नहीं आन्दोलन भी है. यह फिल्म मुझसे यूवाओ की खातिर शुरू करनी पड़ी. नोजवानो का एक ऐसा वर्ग है, जो सालो से शोषण का शिकार रहा है, जिसमे मै खुद भी शामिल है. ५२ बार जेल गया. और करीब पांच सो बार अधिक बार मेरी पिटाई हुई. सिर्फ इसलिया की मै न्याय के लिया लड़ा. मैंने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया. लेकिन मेरी आवाज दबाने की कोशिशा की गयी! श्रीनिवास इंटरटेनमेंट के बैनर टेल बन रही इस फिल्म की मुहरत एन्पायर स्टूडियो में किया गया ! इस मोके पर अरुण ने कहा की उन्हें सादे तेरह साल की उम्र में ही उन्हें टाचर किया जाने लगा. कभी राजीनीतिक शोषण हुआ. तो अभी पुलिस का टाचर झेलना पड़ा. शोषण दि टार्चर के निर्माता निर्दशक के रूप में अरुण पाठक इसे दर्शको के सामने ला रहे है. जिसमे उनका साथ दे रहे है डायेक्टर दीपक तिवारी ! फिल्म के लिए प्रीति सिधानिया का चयन किया जा चूका है. फिल्म के तकनीशियन और अन्य कलाकारों का चयन जारी है.

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