Sunday, 13 November 2011

नौंटकीवाली से अधिक लोकप्रिय होगी नयी मुन्नी- दीपक दुबे

जीतेश दुबे की फिल्म ‘‘मुन्नीबाई नौटंकीवाली’’ में सिर्फ रानी चटर्जी के ही जलवों की चर्चा नहीं हुई थी, उसमें एक बांका नौजवान भी था, जिसने दर्शकों पर अपनी गहरी छाप छोड़ी थी। ये युवक था - दीपक दुबे। ‘‘मुन्नी बाई’’ के बाद दीपक एक एक्शन एक्टर के रूप में ‘‘बृजवा’’ में छा गए और भोजपुरी सिनेमा के सितारों की सूची में शुमार हो गए। ‘‘मुन्नी बाई नौटंकीवाली’’ से अधिक लाभ ‘‘बृजवा’’ ने दिया और दीपक को कई नये आफर्स मिल गये। फिर ‘‘तू ही मोर बालमा’’ ‘‘मार देब गोली केहू ना बोली’’ सरीखी फिल्में आयीं। दीपक सर्वत्र सराहे गए। ‘‘मुन्नी बदनाम भईल सैंया तोहरे खातिर’’ के मुहुर्त के अवसर पर दीपक दुबे से हुई बातचीत के संक्षिप्त अंश प्रस्तुत हैः
एक बार फिर ‘‘मुन्नी’’ का साथ मिल रहा है आपको, यह नौटंकीवाली की अगली कड़ी है अथवा ‘‘दबंग’ के गाने का असर?
इसका उत्तर सीधे-सीधे हाँ ना में थोड़ा मुश्किल है। इस फिल्म में ‘‘मुन्नी बाई नौटंकीवाली’’ वाली जोड़ी है यानी मैं फिर रानी चटर्जी के साथ हूँ, इसलिए यह सवाल और भी पेचीदगी पैदा करता है। हाँ, ‘‘मुन्नी बाई नौटंकीवाली’’ की तरह यह नयी मुन्नी भी कहीं न कहीं उन्हीं हालातों में पहुँचती है, लेकिन परिस्थितियाँ अलग हैं। एक स्पष्ट समानता है कि दोनों मुन्नियाँ नाचती हैं। रही बात ‘दबंगी’’ के गीत ‘‘मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए’’ का तो ये थोड़ा संयोग भी है। वैसे मुन्नीबाई पहले बन चुकी है इसलिए आप ये नहीं कह सकते कि हमने सिर्फ दबंग के गानों को कैश करना चाहा है और सबसे सही उत्तर तो निर्देशक अजय कुमार ही दे सकते हैं।
‘‘बृजवा’’, ‘‘मार देब गोली.....’’ का दीपक दुबे ‘‘मुन्नी बाई नौटंकीवाली’’ से बिल्कुल अलग था। इसमें किस दीपक का असर है?
इसमें अलग दीपक दुबे मिलेगा। एक टपोरी की भूमिका में दिखूंगा ।
‘‘तू ही मोर बालमा’’ में बात कुछ अलग ही थी, हास्य रस में पगी थी फिल्म। आपको किस तरह की भूमिका ज्यादा आसान लगी?
पहली फिल्म में तो बस सबकुछ निर्देशक के इशारे पर ही करना होता है, फिर कैमरे की आदत पर जाती और अपना ‘‘बेस्ट’’ देने की कोशिश करता है। एक कलाकार के रूप में कामेडी और एक्शन दोनों ही बातें समान रूप से असर करती हैं।
रवि किशन जैसे सीनियर स्टार के साथ आपने ‘‘मार देब गोली केहू ना बोली’’ में काम किया। क्या कुछ सीखने को मिला?
रवि जी अत्यंत समर्पित कलाकार हैं। उनसे तो बहुत कुछ सीखा जा सकता है। लेकिन सबसे सीख ये कि वह सेट पर डायरेक्टर के एक्टर होते हैं; कहीं भी रवि किशन नहीं रहते। यह एक कलाकार के समर्पण भाव का परिचायक है।
‘‘मुन्नी बदनाम भईल सैंया तोहरे खातिर’’ के बारे में कुछ और बतायें?
श्री कृष्णा क्रियेशंस कृत ‘‘मुन्नी बदनाम भईल सैंया तोहरे खातिर’’ एक कंपलीट मसाला फिल्म है, जिसे जीतेश दुबे प्रस्तुत कर रहे हैं। इस फिल्म का निर्माण पायल दुबे कर रही हैं वहीं फिल्म के निर्देशन की कमान अजय कुमार ने संभाली है। फिल्म इसी साल दिसम्बर में फ्लोर पर जायेगी।
News By:- uday bhagat

No comments:

Post a Comment