श्रीमती चुलबुल पाण्डेय भोजपुरी की पहली प्रभावशाली फिल्म हो सकती थी ,परन्तु अपनी आपसी रंजिश के कारण इस फिल्म का निर्माता किशन शाह ने इस फिल्म से मुख्य किरदार सपना को हाशिये पर रख दिया और फलौप अभिनेता विनय आनंद के साथ महज ३-4 दिन की शूटिंग की और उसी के नाम फिल्म का नाम "विनय भईया कमाल कईले बाडन "रख दिया ,गौरतलब है की किशन शाह जिसे भोजपुरी की जरा भी समझ नहीं वो भोजपुरी नाम पर कमाने के लिए ऐसे कथा-वस्तु से खिलवाड़ किया जो किशन साह इतने दिनों के अपने फ़िल्मी कैरियर में आज तक कोई उत्कृष्ट फिल्म नहीं दे पाया ,वैसा व्यक्ति का जब श्रीमती चुलबुल पाण्डेय जैसी नारी प्रधान फिल्म लाने की बात कहा ,तो दर्शको ने पहले तो आश्चर्य व्यक्त किया की ऐसा दोयम दर्जे का व्यक्ति ऐसी सोच लाया कहाँ से ,मालूम चला ये कांसेप्ट भी फिल्म की अभिनेत्री सपना ने ही किशन साह को बड़े भाई ने नाते सुझाया था , परन्तु किशन साह के निकृष्टतम रवैये के चलते इस फिल्म का घालमेल हो गया ,फिर एक अच्छी फिल्म बनते बनते रह गयी.
No comments:
Post a Comment