भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए वर्ष 2011 कुछ खास नहीं रहा। इस वर्ष प्रदर्शित हुई लगभग 50 फिल्मों में से मुश्किल से आधा दर्जन फिल्में ही अपना लागत वसूल करके सफल साबित हुई। इस वर्ष की पहली प्रदर्शित फिल्म रही भोजपुरी जूबली स्टार निरहुआ, पाखी अभिनित ‘‘आखिरी रास्ता’’। इस फिल्म ने बिहार, यू.पी. व मुंबई में अच्छी ओपनिंग तो ली लेकिन बाद में जाकर क्लेक्शनस् गिर पडे और यह फिल्म बाक्स आफिस पर औसत ही रही। फिर 26 जनवरी को प्रदर्शित हुई रवि किशन स्टारर ‘‘रामपुर के लक्ष्मण’’, 26 जनवरी का फायदा इस फिल्म को बम्पर ओपनिंग के रूप में तो मिला लेकिन दूसरे दिन से ही फिल्म बुरी तरह बैठ गयी और बाक्स आफिस पर बड़ी फ्लाप रही। फरवरी में प्रदर्शित हुई विनय आनंद की ‘‘सांवरिया आई लव यू’’ व पंकज केसरी की ‘‘द ग्रेट हीरालाल’’ को भी दर्शक नहीं मिले। फरवरी में ही आई पवन सिंह की ‘‘गुंडईराज’’ व ‘‘तू जान हऊ हमार’’ भी बाक्स आफिस पर असफल साबित हुई। फरवरी में आई विराज भट्ट की ‘‘ आजा ओढ़निया तान के’’ भी कुछ खास नहीं रही। मार्च में महाशिवरात्री के अवसर पर आई मनोज तिवारी की दो फिल्में ‘‘मर्द नं.1’’ व ‘‘इंटरनेशनल दरोगा’’ का काफी बुरा हाल रहा। होली पर प्रदर्शित हुई निरहुआ की रामाकांत प्रसाद निर्मित-निर्देशित ‘‘दिलजले’’ ने बाक्स आफिस पर ऐतिहासिक ओपनिंग प्राप्त की। फिल्म ने बिहार, मुंबई में बेहतरीन व यू.पी. में औसत व्यवसाय किया व साल की पहली सुपरहिट फिल्म रही। होली पर ही आई राजकुमार पाण्डेय निर्देशित, पाखी स्टारर ‘‘मैं नागिन तू नगीना’’ ने भी बढि़या व्यवसाय किया। अप्रैल में सुपरस्टार पवन सिंह की तीन फिल्में प्रदर्शित हुईं ‘‘लागल नथुनियाँ के धक्का, कर्तव्य व जंग। लागल नथुनियाँ के धक्का को दर्शकों ने थोड़ा भी धक्का नहीं दिया व अभय सिन्हा की ‘‘जंग’’ भी कोई कमाल नहीं कर सकी। पवन की ‘‘कर्तव्य’’ ने औसत सफलता प्राप्त की। मई में बड़ी बजट की फिल्म दुर्गा प्रसाद निर्मित ‘‘दुश्मनी’’ से दर्शकों ने भी दुश्मनी दिखाई। यह फिल्म बिहार, यू.पी. में औंधे मुँह गिरी। वहीं मुंबई में ठीक व्यवसाय रहा। मनोज तिवारी की ‘‘अपने बेगाने’’ को दर्शकों ने बेगाना कर दिया, अच्छी पारिवारिक फिल्म होते हुए भी यह फिल्म दर्शकों को खींचने में असफल रही। मई में विराज की ‘‘होत बा जवानी अब जियान ए राजा जी’’ सफल फिल्मों में शामिल हुई व विनय आनंद की ‘‘त्रिनेत्र’’ नाकाम रही। जून का महीना भोजपुरी सिनेमा के लिए काफी खास रहा। 10 जून को मशहूर निर्माता आलोक कुमार की लोकगायक खेसारी लाल यादव अभिनित व पे्रमांशु सिंह निर्देशित ‘‘साजन चले ससुराल’’ प्रदर्शित हुई। फिल्म ने धीमी शुरूआत ली लेकिन अच्छी कहानी, बेहतरीन प्रस्तुतीकरण व खेसारी की लोकप्रियता ने फिल्म की ऐतिहासिक सफलता दिलाई व ‘‘साजन चले ससुराल’’ ने सिर्फ बिहार से एक करोड़ का व्यवसाय किया। इस फिल्म ने बिहार के आधा दर्जन से अधिक सिनेमाघरों में पचास दिवस पूरे किए। यू.पी. व पंजाब में भी फिल्म हिट साबित हुई। यह फिल्म इस वर्ष की सबसे बड़ी हिट फिल्म रही व भोजपुरी को नया हीरो दिया ‘‘खेसारीलाल यादव’’। 10 जून को ही प्रदर्शित हुई डाॅ. सुनिल कुमार की ‘‘घायल योद्धा’’ ने नये सितारों के बावजूद अच्छा व्यवसाय किया। 29 जून को आई पवन-विराज की ‘‘लड़ाई ल अंखिया ए लौंडे राजा’’ भी अच्छा व्यवसाय करने में सफल रही व बाक्स आफिस पर हिट साबित हुई। जुलाई में प्रदर्शित हुई ‘‘ऐतना सताईब त हम मर जाईब’’ व ‘‘रंगबाज’’ असफल रही। जुलाई में यू.पी. व मुंबई व अगस्त में बिहार में प्रदर्शित हुई निरहुआ की होम प्रोडक्शन असलम शेख निर्देशित ‘‘औलाद’’ ने बाक्स आफिस पर काफी बढि़या व्यवसाय किया व साल की दूसरी सबसे बड़ी हिट फिल्म रही। इस फिल्म ने साबित किया कि पारिवारिक फिल्में भी बाक्स आफिस पर सफलता के झंडे गाड़ सकती है। सितंबर का महीना भी कुछ खास नहीं रहा। 9 सितंबर को रिलीज हुई हैरी फर्नाडिस निर्देशित ‘‘संतान’’ अच्छी विषय वस्तु होते हुए भी दर्शकों को आकर्षित नहीं कर सकी। फिल्म में पाखी के अभिनय को काफी सराहा गया। 16 सितंबर को रिलीज हुई ‘‘फौलाद’’ भी अच्छा व्यवसाय नहीं कर सकी। 25 सितंबर को रिलीज हुई सुदीप पाण्डेय की ‘‘कुर्बानी’’ बहुत बूरी तरह फ्लाप हुई। दुर्गा पूजा के अवसर पर प्रदर्शित हुई ‘‘निरहुआ मेल’’ व ‘‘बारूद’’ अच्छी ओपनिंग के साथ औसत व्यवसाय करने में सफल रही। छठ पूजा पर अभय सिन्हा की मनोज तिवारी-पवन सिंह स्टारर ‘‘इंसाफ’’, राजकुमार पाण्डेय की ‘‘ट्रक ड्राईवर’’ व राजकुमार पाण्डेय की ही ‘‘पियवा बड़ा सतावेला’’ रिलीज हुई। तीनों फिल्मों में ‘‘ट्रक ड्राईवर’’ ने बाजी मारी। ‘‘ट्रक ड्राईवर’’ सुपरस्टार पवन सिंह की इस वर्ष की सबसे बड़ी हिट फिल्म रही। मनोज-पवन की ‘‘इंसाफ’’ अच्छी ओपनिंग के साथ ठीक ठाक व्यवसाय करने में सफल रही। मुंबई में इंसाफ का बोलबाला रहा। पियवा.... कुछ खास व्यवसाय नहीं कर सकी। इसके बाद आई फिल्मों में सुगना व एलान ही औसत तक पहुँच पाई। संईया ड्राईवर बीवी खलासी, देसवा, मलयुद्ध को दर्शकों ने पूरी तरह नकार दिया। इस साल की 10 बड़ी हिट फिल्म रही ‘‘साजन चले ससुराल’’, ‘‘औलाद’’, ’’दिलजले’’, ‘‘ट्रक ड्राईवर’’, ‘‘इंसाफ’’, ‘‘लड़ाईलऽ अंखिया ऐ लौंडे राजा’’, ‘‘घायल योद्धा’’, ‘‘मैं नागीन तू नगीना’’, ’’कर्तव्य’’, ‘‘बारूद’’।
इस साल के सर्वश्रेष्ठ नायक की बात करे तो निरहुआ इस वर्ष भी नं.1 नायक रहे। उनके खाते में ‘‘औलाद’’ व ‘‘दिलजले’’ दो सुपरहिट फिल्में रही व आखिरी रास्ता, निरहुआ मेल औसत रही। उनकी दुश्मनी फ्लाप रही। निरहुआ जहाँ थे वहाँ से थोड़ा नीचे खिसके हैं। दूसरे नंबर पर हैं पवन सिंह। पवन की ‘‘ट्रक ड्राईवर’’ ‘‘लड़ाई ल अंखिया ऐ लौंडे राजा’’ ‘‘इंसाफ’’ व कर्तव्य सफल फिल्म रही। तीसरे नंबर पर डायरेक्ट इंट्री मारी है इस वर्ष के सबसे बड़ी हिट ‘‘साजन चले ससुराल’’ के नायक खेसारीलाल ने। चैथे पायदान पर रहे विराज भट्ट। विराज की बारूद, होत बा.... हिट रही व दिनेश के साथ दिलजले एवं पवन के साथ लड़ाईल अंखिया...... भी हिट रही। पाँचवे नंबर पर मनोज तिवारी रहे इस वर्ष उनकी ‘‘इंसाफ’’ अच्छी रही। रवि किशन के लिए यह वर्ष काफी बुरा रहा। उनकी प्रदर्शित ‘‘रामपुर के लक्ष्मण’’, ‘‘संतान’’, ‘‘फौलाद’’, ‘‘पियवा......’’, ‘‘देवदास’’ व ‘‘मल्लयुद्ध’’ पूरी तरह से असफल रही। नायिकाओं में पाखी का जलवा एक बार फिर से चला। उनकी औलाद, मैं नागीन तू नगीना हिट रही व उनके खाते में संतान जैसी बेहतरीन अदाकारी वाली फिल्म भी रही। रानी चटर्जी का यह वर्ष खास नहीं रहा उनकी ‘‘फूल बनल अंगार’’ दर्शकों को खास पसंद नहीं आयी। उनकी मल्लयुद्ध, पियवा.....’’ भी नहीं चली। मोनालिसा, रिंकू घोष के लिए भी यह वर्ष खास नहीं रहा। नये कलाकारों में ‘‘सुगना’’ फेम आदित्य ओझा ने उम्मीदें बढ़ाई हैं। मनोज पाण्डेय, प्रवेश लाल यादव, पंकज केसरी, विक्रांत, सुदीप, दीपक के लिए वर्ष 2012 खास होगा। निर्माताओं में आलोक कुमार, अभय सिन्हा, रमाकांत प्रसाद, राजकुमार पाण्डेय, के एस. साईं बाबा, डा. सुनिल कुमार की फिल्में चर्चित रहीं वहीं निर्देशकों में रमाकांत प्रसाद, राजकुमार आर. पाण्डेय, असलम शेख, पे्रमांशु सिंह, जगदीश शर्मा, अजय श्रीवास्तव, हैरी फर्नाडिंस की फिल्में चर्चित रहीं। आशा करते हैं कि वर्ष 2012 में भोजपुरी सिनेमा 2011 के असफलता से सबक लेते हुए 2012 कुछ यादगार फिल्में देगा।
इस साल के सर्वश्रेष्ठ नायक की बात करे तो निरहुआ इस वर्ष भी नं.1 नायक रहे। उनके खाते में ‘‘औलाद’’ व ‘‘दिलजले’’ दो सुपरहिट फिल्में रही व आखिरी रास्ता, निरहुआ मेल औसत रही। उनकी दुश्मनी फ्लाप रही। निरहुआ जहाँ थे वहाँ से थोड़ा नीचे खिसके हैं। दूसरे नंबर पर हैं पवन सिंह। पवन की ‘‘ट्रक ड्राईवर’’ ‘‘लड़ाई ल अंखिया ऐ लौंडे राजा’’ ‘‘इंसाफ’’ व कर्तव्य सफल फिल्म रही। तीसरे नंबर पर डायरेक्ट इंट्री मारी है इस वर्ष के सबसे बड़ी हिट ‘‘साजन चले ससुराल’’ के नायक खेसारीलाल ने। चैथे पायदान पर रहे विराज भट्ट। विराज की बारूद, होत बा.... हिट रही व दिनेश के साथ दिलजले एवं पवन के साथ लड़ाईल अंखिया...... भी हिट रही। पाँचवे नंबर पर मनोज तिवारी रहे इस वर्ष उनकी ‘‘इंसाफ’’ अच्छी रही। रवि किशन के लिए यह वर्ष काफी बुरा रहा। उनकी प्रदर्शित ‘‘रामपुर के लक्ष्मण’’, ‘‘संतान’’, ‘‘फौलाद’’, ‘‘पियवा......’’, ‘‘देवदास’’ व ‘‘मल्लयुद्ध’’ पूरी तरह से असफल रही। नायिकाओं में पाखी का जलवा एक बार फिर से चला। उनकी औलाद, मैं नागीन तू नगीना हिट रही व उनके खाते में संतान जैसी बेहतरीन अदाकारी वाली फिल्म भी रही। रानी चटर्जी का यह वर्ष खास नहीं रहा उनकी ‘‘फूल बनल अंगार’’ दर्शकों को खास पसंद नहीं आयी। उनकी मल्लयुद्ध, पियवा.....’’ भी नहीं चली। मोनालिसा, रिंकू घोष के लिए भी यह वर्ष खास नहीं रहा। नये कलाकारों में ‘‘सुगना’’ फेम आदित्य ओझा ने उम्मीदें बढ़ाई हैं। मनोज पाण्डेय, प्रवेश लाल यादव, पंकज केसरी, विक्रांत, सुदीप, दीपक के लिए वर्ष 2012 खास होगा। निर्माताओं में आलोक कुमार, अभय सिन्हा, रमाकांत प्रसाद, राजकुमार पाण्डेय, के एस. साईं बाबा, डा. सुनिल कुमार की फिल्में चर्चित रहीं वहीं निर्देशकों में रमाकांत प्रसाद, राजकुमार आर. पाण्डेय, असलम शेख, पे्रमांशु सिंह, जगदीश शर्मा, अजय श्रीवास्तव, हैरी फर्नाडिंस की फिल्में चर्चित रहीं। आशा करते हैं कि वर्ष 2012 में भोजपुरी सिनेमा 2011 के असफलता से सबक लेते हुए 2012 कुछ यादगार फिल्में देगा।